1/21/16

Poem | Charles Bukowski ( Translated by Ishan Marvel )

भीड़ में अकेले
(Alone with Everybody)

Photo Credits : Ishan Marvel


मास ढकता है ढांचे को,
फ़िर दिमाग डाल देते हैं,
और कभी-कभार रूह

औरतें दीवारों पे फूलदान  तोड़ती हैं
और आदमी पीते रहते हैं

किसी को साथ नहीं मिलता

पर लगे रहो,
बिस्तरों में रेंगते,
अंदर-बाहर

मास ढकता है ढांचे को,
पर ढूंढता है कुछ और,
अपने से अलग

कोई उम्मीद नहीं:

एक ही भाग्य में फंसे हैं हम

किसी को साथ नहीं मिलता

कूड़ेदान भरते हैं
पागलख़ाने भरते हैं
अस्पताल भरते हैं
और कब्रें भरतीं हैं



और कुछ नहीं भरता



Alone with Everybody

the flesh covers the bone 
and they put a mind 
in there and 
sometimes a soul, 
and the women break 
vases against the walls 
and the men drink too 
much 
and nobody finds the 
one 
but keep 
looking 
crawling in and out 
of beds. 
flesh covers 
the bone and the 
flesh searches 
for more than 
flesh. 

there's no chance 
at all: 
we are all trapped 
by a singular 
fate. 

nobody ever finds 
the one. 

the city dumps fill 
the junkyards fill 
the madhouses fill 
the hospitals fill 
the graveyards fill 

nothing else 
fills. 

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