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8/15/18

Poetry | Anil Pushker | Independence Day Special


परेशान


पिता परेशान हैं
क्यूंकि हम परेशान हैं

हम परेशान हैं
क्यूंकि लोग परेशान हैं

लोग परेशान है
क्यूंकि  महकमे परेशान हैं

महकमे परेशान हैं
क्यूंकि सरकार परेशान है

सरकार परेशान है
क्यूंकि  वायदा बाजार परेशान है

बाज़ार परेशान है
क्यूंकि ठग परेशान हैं

ठग परेशान है क्यूंकि
भूमंडल का देवता परेशान है

देवता परेशान है
क्यूंकि उससे दुनिया परेशान है

दुनिया परेशान है
क्यूंकि हमारे पिता परेशान हैं



तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध

तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध
जो राजा था, राजा रहते हुए मरा

आज
तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध
वो भूखा ही जिया भूखा मरा

आज
तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध
जन-मिलीशिया ने हमला किया

आज
तुम्हारी इच्छा के विरूद्ध
उपजाऊ जमीनों को बेचा गया

आज
तुम्हारी इच्छा के विरूद्ध
युद्ध जारी है

आज
तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध
देखो, अब किसकी बारी है.
.


इसको हल करने का सूत्र बताओ

पहले
श्याम बेनेगल आये या एके हंगल
ये सवाल वेवजह हो सकता है

मगर
पहले बदहाली आयी फिर भुखमरी और तब तरक्की
या पहले तरक्की आई फिर भूख और तब महामारी
इसको हल करने का सूत्र बताओ
फिर उस सूत्र से हल सुझाओ.

पूछते-पूछते ये सवाल इतना बड़ा हो गया
कि इसे पहले ले जाया गया मरने वाले के पेट में
फिर पोस्टमार्टम के आखेट में
फिर वो अस्पताल से थाणे और
थाणे से न्यायालय ले जाया गया
जहाँ पंचनामें की तफतीस का ब्योरा देख
फैसला सुरक्षित रख लिया गया

शवदाहगृह में रखी लाश पर चस्पा सूचना के मुताबिक़
उसके बदन में खून की कमी पाई गयी
रोटी का एक टुकड़ा पेट में पत्थर बन चुका था
आँतों में सालन अरसे से गला नहीं था
(नसों के तनाव से मालूम हुआ वो हादसे का शिकार नहीं बल्कि
इरादतन मारा गया था) जो लिखा नहीं गया

लोगों के बीच चर्चा बनी रही जिस समय वो नहीं रहा
उसकी जीभ में सरकार के विरुद्ध कैक्टस उग आये थे
मुट्ठियों में जम्हूरियत का गीला लोंदा कसा था

जब उसे लेने कोई नहीं आया
उसके खिलाफ़ तमाम अपराध दर्ज हुए
मसलन वो देशद्रोह का भागी था
उसकी गाँठ में एक अखबार का टुकड़ा मिला
जिसमें तम्बाकू के साथ नक्सलवाद का जिक्र था
उसका रंग और हड्डियाँ इस बात की पुष्टि थीं
कि वो जंगल का निवासी है

सरकारी वकील की अपील फिर आयी
फैसला सार्वजनिक किया गया

वो लाश अब
राष्ट्र का घिनौना चेहरा बन चुकी है
आतंकी होने की मुहर लग चुकी है.



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